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प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (क्रयात्मक संगीत पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र
क्रयात्मक संगीत सम्बन्धी द्वितीय प्रश्न पत्र - क्रियात्मक संगीत सम्बन्धी द्वितीय प्रश्न पत्र - क्रियात्मक संगीत सम्बन्धी
1. प्रथम से सप्तम वर्षां तक के पाठ्यक्रमों के सभी क्रियात्मक संगीत सम्बन्धी शास्त्र का विस्तृत और आलोचनात्मक अध्ययन।
2. प्रबन्ध शास्त्र के तत्व एवं नियम। आधुनिक प्रबन्ध, जैसे - धु्रपद, धमार, खयाल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, तराना, तिरवट, चतुरंग आदि की रचना करने का ज्ञान।
3. विभिन्न प्रकार की गतों जैसे मसीतखानी, रजाखानी, अमीरखानी, फिरोजखानी की नई बन्दिशों की रचना करने का ज्ञान।
4. भारतीय संगीत की वर्तमान स्थिति तथा इसका भविष्य।
5. विभिन्न तंत्र वाद्यों की उत्पत्ति, भारत में इसका विकास, तथा इसके वादन शैलियों की विशेषताओं का विस्तृत अध्ययन।
6. ध्रुपद गायन का पतन तथा खयाल गायन की लोकप्रियता के कारणों पर तर्क पूर्ण विचार।
7. वर्तमान समय में भारतीय संगीत के प्रचार एवं प्रसार हेतु विभिन्न प्रकार के साधन तथा माध्यम और उनके गुण तथा दोष।
8. वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की दी जाने वाली संगीत शिक्षा के सम्बन्ध में आलोचनात्मक और तर्क पूर्ण विचार।
9. पाठ्यक्रमों के रागों में तीनताल के अतिरिक्त अन्य तालों में स्वयं सरगम या बन्दिश की रचना करने की क्षमता।
10. इस वर्ष के सभी रागों का विस्तृत अध्ययन तथा उनसे मिलते जुलते रागों की तुलना। इन रागों में अलपत्व.बहुत्व तथा तिरोभाव.आविर्भाव सउदाहरण दिखाने का पूर्ण ज्ञान।
11. पाश्चात्य लिपि पद्धति ;ैजिं दवजंजपवदद्ध का पूर्ण ज्ञान तथा भारतीय संगीत में प्रचलित लिपि पद्धतियों से इनकी तुलना। पाश्चात्य लिपि पद्धति ;ैजिं दवजंजपवदद्ध में गीत अथवा गत लिखने का ज्ञान।
12. क्रियात्मक संगीत शास्त्र सम्बन्धी विषयों पर लेख लिखने की पूर्ण क्षमता।