सिलेबस : उप विशारद महागुजरात गन्धर्व संगीत समिति

संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (शुद्ध शास्त्र पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (शुद्ध शास्त्र पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

द्वितीय प्रश्नपत्र – शुद्ध शास्त्र (Second Paper - Theory)

१.      पिछले सभी वर्षों के शास्त्र सम्बंधित विषयों का सूक्ष्म तथा विस्तृत अध्ययन.

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में अन्य 4 कठिन ततकार हस्तकों सहित, दो थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 कठिन
तोड़े, एक चक्करदार तोड़ा, दो सरल गत भाव तथा दो तिहाइयाँ।
2. झपताल में दो तत्कार, एक थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 सरल तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
3. दादरा और कहरवा तालों में लोक नृत्य।
4. एकताल तथा सूलताल के ठेके को ठाह, दुगुन तथा चौगुन में हाथ से ताली देकर बोलना।
5. तत्कार तथा तोड़ों को हाथ से ताली देकर ठाह, दुगुन और चौगुन में बोलना। Read More : जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भरतनाट्यम (III Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. पिछले वर्षों के पाठ्यक्रम का विशेष अध्ययन।
2. शब्दम् शब्द का अर्थ सहित पूर्ण ज्ञान।
3. नव.रसों का पूर्ण ज्ञान।
4. भरतनाट्यम.शास्त्र की 24 असंयुक्त मुद्राओं का श्लोक सहित अर्थ ज्ञान।
5. अभिनय दर्पण की 28 असंयुक्त मुद्राओं का श्लोक सहित ज्ञान।
6. आंगिक, वाचिक तथा अहर्य अभिनय के भेद।
7. द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम के 10 संयुक्त मुद्राओं का किन.किन अर्थों में प्रयोग होता है, उसका ज्ञान।
8. मिनाक्षी सुन्दरम् पिल्ले, चोकलिंगम पिल्ले तथा पुन्नैया पिल्ले की जीवनी तथा योगदान।
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सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

तृतीय वर्ष (तन्त्र वाद्य)  क्रियात्मक परीक्षा १०० अंकों की तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का. पिछले वर्षों का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है.  क्रियात्मक  Read More : सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (शास्त्र पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - तन्त्र वाद्य (शास्त्र पाठ्यक्रम )
  1. प्रथम और द्वितीय वर्षों के कुल पारिभाषिक शब्दों का विस्तृत ज्ञान, २२ श्रुतियों का सात शुद्ध स्वरों में विभाजन (आधुनिक मत), आन्दोलन की चौड़ाई और उसका नाद से छोटे-बड़ेपन से सम्बन्ध, थाट और राग के विशेष नियम. श्रुति और नाद में सूक्ष्म भेद. व्यंकटमखी के ७२ मेलों की गणितानुसार रचना और एक थाट से ४८४ रागों की उत्पत्ति. स्वर और समय के अनुसार रागों के तीन वर्ग (रे-ध कोमल वाले राग, रे-ध शुद्ध वाले राग, और ग-नि कोमल वाले राग), संधिप्रकाश राग, तानों के प्रकार.

सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

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