ठुमरी का नवनिर्माण

ठुमरी का नवनिर्माण

ठुमरी को लम्बे समय तक नायिका के बनाव शृंगार, मान-मनौव्वल, उपेक्षा-विरह और छेड़-छाड़ से जोड़ कर देखा गया लेकिन गिरिजा देवी ने इस ठुमरी गायकी को सात्विकता प्रदान की और इसे भक्ति रस से सराबोर कर दिया और उनका गायन उनके लिए भक्ति साधना कामाध्यम बन गया. Read More : ठुमरी का नवनिर्माण about ठुमरी का नवनिर्माण

मूड के मुताबिक म्यूज़िक सुनाएगा गूगल

मशहूर ऑनलाइन सर्च इंजन गूगल ने अपनी संगीत सेवा पोर्टफोलियो को मजबूत करने के इरादे से म्यूजिक स्ट्रीमिंग सर्विस सॉन्गज़ा को खरीद लिया है.

सॉन्गज़ा एक ऐसी सर्विस हो जो उत्तर अमरीका के इंटरनेट यूजर्स को मुफ़्त म्यूजिक स्ट्रीमिंग उपलब्ध कराती है. इसका कहना है कि यह सुनने वाले के मूड के हिसाब से प्लेलिस्ट तैयार कर सकती है.

गूगल ने अभी ये नहीं बताया है कि ये सौदा कितने में हुआ है.

मोबाइल की दिग्‍गज कंपनी ऐपल और ऑनलाइन म्यूजिक स्ट्रीम सर्विस स्पॉटिफाई के साथ कड़े मुकाबले को देखते हुए अपनी गूगल प्ले स्ट्रीमिंग सर्विस को बेहतर बनाने का यह गूगल का प्रयास है. Read More : मूड के मुताबिक म्यूज़िक सुनाएगा गूगल about मूड के मुताबिक म्यूज़िक सुनाएगा गूगल

संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल

संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल

संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल। थाट, यह रागों के वर्गीकरण हेतु तैयार की हुई पद्धति है। पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने १० थाट प्रचिलित किये जिनको कोमल, शुद्ध और तीव्र स्वरों के आधार पर बनाया गया जो निम्न हैं - 
(१) कल्याण 
(२) बिलावल 
(३) खमाज 
(४) भैरव 
(५) पूर्वी 
(६) मारवा 
(७) काफी 
(८) आसावरी 
(९) भैरवी 
(१०) तोड़ी Read More : संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल about संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल

गुरु-शिष्य परम्परा

गुरु-शिष्य परम्परा

गुरु-शिष्य परम्परा आध्यात्मिक प्रज्ञा का नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सोपान। भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य को शिक्षा देता है या कोई विद्या सिखाता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रूप में दूसरों को शिक्षा देता है। यही क्रम चलता जाता है। यह परम्परा सनातन धर्म की सभी धाराओं में मिलती है। गुरु-शिष्य की यह परम्परा ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, जैसे- अध्यात्म, संगीत, कला, वेदाध्ययन, वास्तु आदि। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है। कहीं गुरु को 'ब्रह्मा-विष्णु-महेश' कहा गया है तो कहीं 'गोविन्द'। 'सिख' शब्द संस्कृत के 'शिष्य' से व्युत्पन्न ह Read More : गुरु-शिष्य परम्परा about गुरु-शिष्य परम्परा

वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।

वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।

प्राचीन काल से ही संगीत को बारंबार चिकित्सीय कारक के रूप में उपयोग में लाया जाता रहा है। भारत में संगीत, मधुर ध्वनि के माध्यम से एक योग प्रणाली की तरह है, जो मानव जीव पर कार्य करती है तथा आत्मज्ञान की हद के लिए उनके उचित कार्यों को जागृत तथा विकसित करती हैं, जोकि हिंदू दर्शन और धर्म का अंतिम लक्ष्य है। मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है।'राग' का आधार मधुर लय है। विभिन्न'राग' केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली से संबंधित अनेक रोगों के इलाज में प्रभावी पाए गए हैं। चिकित्सा के रूप में संगीत के प्रयोग करने से पहले यह अवश्य पता करना चाहिए कि किस प्रकार के संगीत का उपयोग हो. Read More : वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है। about वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।

रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज

रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज

भारतीय संस्कृति को अपनी परम्पराओं, विशालता, जीवन्तता के कारण सर्वत्र सराहा गया है व विश्वभर में विद्यमान संस्कृतियों में श्रेष्ठतम माना गया है । भारतीय संस्कृति ने प्राचीन काल से ही विदेशियों को प्रभावित किया है । भारतीय चिन्तन के अनुसार भारतीय सभ्यता व संस्कृति की संवाहक हैं कलाएं । जीवन में सकारात्मक प्रवृत्ति, उल्लास व उत्साह भरने के लिए कलाएं मनुष्य को सदैव प्रेरित करती आई हैं जिनमें से सबसे उत्कृष्ट ललित कलाओं को माना गया है । इन ललित कलाओं में संगीत का स्थान सर्वोपरि है । संगीत एक ऐसी विधा है जो मानव चित्त पर विशेष व अमिट छाप छोड़ती है । भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व के अन्य देशों क Read More : रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज about रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज

गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी)

गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी)

वातावरण पर प्रभाव डालने के लिये राग मे गायन, वादन के अविभाज्य 8 अंगों का प्रयोग होना चाहिये। ये 8 अंग या अष्टांग इस प्रकार हैं - स्वर, गीत, ताल और लय, आलाप, तान, मींड, गमक एवं बोलआलाप और बोलतान। उपर्युक्त 8 अंगों के समुचित प्रयोग के द्वारा ही राग को सजाया जाता है।

1. स्वर - Read More : गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी) about गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी)

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