सीनियर डिप्लोमा (III Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

क्रियात्मक परीक्षा १०० अंकों कि तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
पिछले वर्षों सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी इसमें सम्मिलित है। Read More : सीनियर डिप्लोमा (III Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about सीनियर डिप्लोमा (III Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रभाकर (V Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रभाकर (V Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

प्रयाग संगीत समिति, इलाहबाद का पाठ्यक्रम.  पंचम वर्ष (Fifth Year)  यात्मक परीक्षा १०० अंकों की और एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का, पिछले वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है. Read More : संगीत प्रभाकर (V Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about संगीत प्रभाकर (V Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

प्रयाग संगीत समिति, इलाहबाद का पाठ्यक्रम.  षष्ठम वर्ष/संगीत प्रभाकर (Sixth Year/Sangeet Prabhakar) क्रियात्मक परीक्षा २०० अंकों की और दो प्रश्न-पत्र ५०-५० अंकों के. पिछले वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है. Read More : संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब

शास्त्रीय संगीत में घरानों

शास्त्रीय संगीत में घरानों की परंपरा बड़ी पुरानी है. आपने जब भी किसी शास्त्रीय कलाकार का नाम सुना होगा ज्यादातर मौकों पर उसके साथ एक घराने का नाम भी सुना होगा. घराना शब्द हिंदी के घर और संस्कृत के गृह शब्द से बना है. क्या आपने कभी सोचा कि इन घरानों का मतलब क्या है? दरअसल इस सवाल का जवाब बहुत आसान है. घराने से सीधा मतलब है एक विशेष किस्म की गायकी.

भारतीय शास्त्रीय संगीत में तमाम घराने हुए हैं. हर घराने में थोड़ा बहुत फर्क है. ये फर्क गायकी के अंदाज से लेकर बंदिशों तक में दिखाई और सुनाई देता है. |

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राग रागिनी पद्धति

राग रागिनी पद्धति

रागों के वर्गीकरण की यह परंपरागत पद्धति है। १९वीं सदी तक रागों का वर्गीकरण इसी पद्धति के अनुसार किया जाता था। हर एक राग का परिवार होता था। सब छः राग ही मानते थे, पर अनेक मतों के अनुसार उनके नामों में अन्तर होता था। इस पद्धति को मानने वालों के चार मत थे।

शिव मत
इसके अनुसार छः राग माने जाते थे। प्रत्येक की छः-छः रागिनियाँ तथा आठ पुत्र मानते थे। इस मत में मान्य छः राग-

1. राग भैरव, 2. राग श्री, 3. राग मेघ, 4. राग बसंत, 5. राग पंचम, 6. राग नट नारायण।

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