Practical (क्रियात्मक)

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में 2 कठिन ततकार हस्तकों सहित, दो नये थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 कठिन तोड़े, एक परन तथा एक चक्करदार परन। ततकार को पैर से ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयों में निकालना तथा हाथ से ताली देकर बोलने का अभ्यास।
2. झपताल में दो तत्कार - पलटों और हस्तकों सहित, एक चक्करदार तोड़ा, 2 कठिन तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
3. एकताल में दो थाट, एक सलामी, एक आमद, चार ततकार हस्तक सहित, 4 तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
4. सूलताल में दो ततकार तथा दो तोड़े।
5. तीनताल में दो घूंघट का गतभाव।
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जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में 4 सरल तत्कार हस्तकों सहित ठाह दुगुन और चौगुन की लय में, एक थाट, एक
सलामी, एक आमद, 5 साधारण तोड़े तथा 2 तिहाईयाँ।
2. दादरा और कहरवा तालों में दो आधुनिक छोटे नृत्य।
3. तीनताल, झपताल, दादरा और कहरवा के ठेके को हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलने
का अभ्यास।
4. तत्कार तथा तोड़ों को हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलना। Read More : जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रवेशिका - कत्थक ( क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

संगीत प्रवेशिका - कत्थक ( क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में एक थाट, एक सलामी तथा एक तोड़ा नाचने की क्षमता।
2. दादरा और कहरवा तालों में एक.एक लोग नृत्य।
3. तीनताल में दो तत्कार, हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलना।
4. दादरा, कहरवा एवं तीनताल को हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलना। Read More : संगीत प्रवेशिका - कत्थक ( क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about संगीत प्रवेशिका - कत्थक ( क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

 मंच प्रदर्शन
1. मंच प्रदर्शन में गायन के परीक्षार्थीं को सर्वप्रथम उपर्युक्त विस्तृत अध्ययन के 15 रागों में से अपनी इच्छानुसार किसी भी एक राग में विलम्बित तथा दु्रत खयाल लगभग 30 मिनट तक या परीक्षक द्वारा निर्धारित समय में पूर्ण गायकी के साथ गायन। इसके बाद थोड़ी देर किसी राग की ठुमरी, भजन या भावगीत गाने का अभ्यास।
2. मंच प्रदर्शन के समय परीक्षाकक्ष में श्रोतागण भी कार्यक्रम सुनने हेतु उपस्थित रह सकते हैं।
3. परीक्षक को अधिकार होगा कि यदि वे चाहें तो निर्धारित समय से पूर्व भी परीक्षार्थी का प्रदर्शन समाप्त कर सकते हैं। Read More : प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम ) about प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मौखिक पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मौखिक पाठ्यक्रम )

1. निम्नलिखित 15 रागों का विस्तृत अध्ययन - शुद्ध सारंग, मारू बिहाग, नन्द, हंसध्वनि, मलूहा केदार, जोग,
मद्यमाद सांरग, नारायणी, अहीर भैरव, पूरिया कल्याण, आभोगी कान्हड़ा, सूर मल्हार, चन्द्रकौस, गुजरी
तोड़ी, मधुवन्ती।
2. परीक्षार्थियों के लिए उपर्युक्त सभी रागों में विलम्बित तथा दु्रत खयालों को विस्तृत रूप से गाने की पूर्ण
तैयारी। इनमें से कुछ रागों में धु्रपद, धमार, तराना, चतुरंग आदि कुशलता पूर्वक गाने का अभ्यास। अपनी
पसंद से कुछ रागों में ठुमरी, भजन या भावगीत सुदंर ढंग से गाने की तैयारी।
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प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

 मंच प्रदर्शन
1. मंच प्रदर्शन में गायन के परीक्षार्थीं को सर्वप्रथम उपर्युक्त विस्तृत अध्ययन के 15 रागों में से
अपनी इच्छानुसार किसी भी एक राग में विलम्बित तथा दु्रत खयाल लगभग 30 मिनट तक या
परीक्षक द्वारा निर्धारित समय में पूर्ण गायकी के साथ गायन। इसके बाद थोड़ी देर किसी राग
की ठुमरी, भजन या भावगीत गाने का अभ्यास।
2. मंच प्रदर्शन के समय परीक्षाकक्ष में श्रोतागण भी कार्यक्रम सुनने हेतु उपस्थित रह सकते हैं।
3. परीक्षक को अधिकार होगा कि यदि वे चाहें तो निर्धारित समय से पूर्व भी परीक्षार्थी का प्रदर्शन
समाप्त कर सकते हैं। Read More : प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम ) about प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मौखिक पाठ्यक्रम )

प्रवीण संगीताचार्य (VIII Year) - गायन (मौखिक पाठ्यक्रम )

मौखिक
1. निम्नलिखित 15 रागों का विस्तृत अध्ययन - देवगिरी बिलावल, यमनी बिलावल, श्यामकल्याण, गोरख कल्याण, मेघ मल्हार, जैताश्री, भटियार, मियां की सांरग, सूहा, नायकी कान्हड़ा, हेमन्त, कौसी कान्हड़ा, जोगकौंस, बिलासखानी तोड़ी, झिंझोटी।
2. उपर्युक्त सभी रागों में विलम्बित तथा दुत खयालों की विस्तृत रूप से गाने की पूर्ण तैयारी। इनमें से कुछ रागों में धु्रपद, धमार, तराना, चतुरंग आदि कुशलता पूर्वक गाने का अभ्यास। अपनी पसंद के रागों में ठुमरी, भजन या भावगीत सुन्दर ढंग से गाने की तैयारी।
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